प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध, जनता के प्रति समर्पित।


प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध, जनता के प्रति समर्पित।
राजनीति का असली मकसद क्या है?
आज की राजनीति में जब शोर, वादों और प्रचार की बाढ़ है, तब एक सवाल उठाना जरूरी हो गया है – क्या हम सच में विकास की ओर बढ़ रहे हैं? और अगर हाँ, तो वह विकास कितने लोगों तक पहुँच रहा है? क्या हमारी राजनीति सिर्फ सत्ता का खेल बनकर रह गई है, या फिर अब भी कहीं कोई ऐसा दृष्टिकोण है जो वास्तव में जनता और देश के भविष्य के लिए समर्पित है?
"प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध, जनता के प्रति समर्पित" – यह सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि एक दर्शन है जो बताता है कि राजनीति का मूल उद्देश्य क्या होना चाहिए।
प्रगति: केवल इमारतें नहीं, इंसान भी
जब हम प्रगति की बात करते हैं, तो इसका अर्थ केवल सड़कों, मेट्रो, और बड़ी-बड़ी परियोजनाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए। प्रगति तब होती है जब—
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गाँव के किसान को उसकी मेहनत का पूरा दाम मिले,
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एक युवा को रोज़गार मिले बिना शहर बदलना न पड़े,
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बेटियाँ निडर होकर स्कूल जा सकें,
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और एक आम नागरिक को न्याय, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा आसानी से मिले।
